पोल खुलने पर शासन के अफसरों को खुश करने में जुटे NHM के जिम्मेदार ऑफिसर

 



लखनऊ. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा पर कार्यरत उन कंसलटेंट की पत्नियों की सैलरी में बेतहाशा इजाफा पर रोक लगा दिया गया। जिनके पति NHM मुख्यालय में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत हैं। उसके बाद एक बार फिर इन कंसलटेंट की पत्नियों की सैलरी बढाने की कार्यवाही ने विदयुत गति पकड़ी। मिशन निदेशक पंकज कुमार ने स्वयं डीजी हेल्थ से इन संविदाकर्मियों की सैलरी बढाये जाने का औचित्य जानना चाहा। जिस पर संबंधित योजनाओं के कर्ताधर्ताओं ने अपनी मुहर लगा कर फाइल आगे बढा दी। अब अपनी करतूतों को अंजाम तक पहुंचाने में जुटे जिम्मेदार शासन के अफसरों को खुश करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पूरा जोर इस पर लगाया जा रहा है कि किसी तरह खासम-खास संविदा कर्मियों की सैलरी बढवा दी जाये और इस कार्यवाही को कानूनी जामा भी पहना दिया जाये ताकि उनकी सेहत पर इसका असर नहीं पड़े।


उधर जिम्मेदारों ने सैलरी बढाये जाने की फाइल दोबारा विदयुत गति से मिशन मुख्यालय भेजी। तय हुआ कि संबंधित प्रमुख सचिव से भी इसकी रजामंदी ले ली जाये। जानकारों का कहना है कि यह जिम्मेदार प्रमुख सचिव को भी अंधेरे में रखकर सैलरी बढाने के बाबत उनकी संस्तुति ले सकते हैं। मिशन के विशेष चेहेतों की सैलरी बढाये जाने के लिये इसे एक अभियान का रूप दे दिया गया है।


सूत्रों का कहना है कि यह सब उच्चाधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है। पीआईपी के जरिये मानदेय बढाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें तमाम संविदाकर्मियों की सैलरी बढाने का प्रस्ताव आरओपी के जरिये आया है, पर सैलरी सिर्फ उन्हीं दो कंसलटेंट की पत्नियों की बढाई जा रही है। जिनको उच्चाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। योजना में कार्यरत चालक की पीआईपी के माध्यम से 2015 में 26 हजार रूपये मानदये देने का प्रस्ताव आया था। पर चार साल से वह जमीन पर नहीं उतर सका है। वह 14 हजार रूपये में ही अब तक अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहा है। तमाम संविदाकर्मी इसके उदाहरण है।


विभागीय जानकारों का कहना है कि योगी सरकार में NHM में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। चूंकि चुनाव का समय है वजीर अपने चुनावी आयोजन में व्यस्त हैं। इसलिए इसकी आड़ में अफस मनमानी कर रहे हैं और चहेतों को रेवड़ियां बांट रहे हैं।


दरअसल, बीते दिनों एकाएक जिनकी सैलरियों में आनन फानन में बेतहाशा इजाफा कर दिया गया था। उनकी सैलरी पहले से दोगुनी या डेढ गुनी बढाई गई थी। जबकि नियमों के मुताबिक संविदा कर्मियों की सैलरी में एक साल की सेवा पूरी होने पर 5 फीसदी ही बढोत्तरी की जा सकती है। upkiran.org में खबर प्रकाशित होने के बाद मिशन मुख्यालय में हड़कम्प मच गया। चहेतों को रेवड़ी बांटने के लिए किए गए आदेश में अपनी गर्दन फंसती देख अफसरों ने मानदेय बढाने संबंधी आदेश की समीक्षा का निर्णय लिया और 13 अप्रैल को एक नया आदेश जारी कर 27 मार्च को मानेदय बढाने संबंधी जारी पुराने आदेश को स्थगित कर दिया था।


क्या है मामला


जब NHM के तहत कार्यरत संविदा कर्मियों का मानदेय आनन फानन में बढा तो मामले ने तूल पकड़ लिया। पता चला कि NVBDCP कार्यक्रम में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत दिव्या शिवाजी की सैलरी अचानक 22 हजार से बढकर 44 हजार हो गई। इसी तरह NELP कार्यक्रम में बीएफओ कम एडमिन आफिसर के पद पर नियुक्त संविदाकर्मी मीनाक्षी द्विवेदी की सैलरी 33 हजार से बढकर 46 हजार हो गई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि मीनाक्षी द्विवेदी ने बीते 11 मार्च को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय को पत्र लिखकर 10 प्रतिशत लायबिलिटी बोनस और 5 प्रतिशत मानदेय बढाने का अनुरोध किया था।


इस पत्र के जवाब में महाप्रबंधक राष्ट्रीय कार्यक्रम डा अश्विनी कुमार ने संयुक्त निदेशक, कुष्ठ को पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगा और इसके तुरंत बाद 27 मार्च को उनकी मानदेय में बेतहाशा बढोत्तरी कर दी गई। यह भी कहा गया कि यह बढोत्तरी एक जनवरी 2019 से मान्य होगी। ठीक इसी तरह कंसलटेंट के पद पर तैनात दिव्या शिवाजी का मानदेय बढाने में भी खेल हुआ। अब यही खेल फिर दोहराया जा रहा है। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार डीजी हेल्थ से इस संबंध में आख्या मांगी गई है और कागजी कार्यवाही ने विदयुत गति पकड़ ली है।


विभागीय जानकारों का कहना है कि इन दोनों ही संविदाकर्मियों के पति NHM मुख्यालय में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत हैं। दिव्याश्री के पति धर्मेन्द्र मानव संसाधन में कंसलटेंट के पद पर तैनात हैं। जबकि मीनाक्षी द्विवेदी के पति अभय द्विवेदी Non communicable disease में कंसलटेंट हैं।






 





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